नवजीवन के यह देवदूत
डॉक्टर्स day पर मेरी यह रचना जो मेरा ही अनुभव है लिखित एवम वीडियो दोनो ही फॉर्म में प्रेषित है
नवजीवन के यह देवदूत
देते जीवन का सार
करते उचित उपचार
दर्द फिर हो जाता
छूमंतर बाहर ,
सुना तो यह था कि
हॉस्पिटल होता है नरक का द्वार
लेकिन प्रत्यक्ष देखा भी
कि, इस नरक को स्वर्ग बनाते है
हमारे डॉक्टर्स नर्सेस वार्डबॉय
जो अपने हाथों की छुवन से
फैलाते है मरीज में
सकारात्मक ऊर्जा
चाहे मन और शरीर पर उनके
करते हो अत्याचार
पर कोशिश यही रहती उनकी
कोई मरीज रोये नही
हंसता हुवा ही घर जाए
सच में,इन दिनों यही सब कुछ
देखा जाना और महसूस किया
बरोदा के नवजीवन नर्सिंग होम के
डॉ किशन जानी
नाम के अनुरूप ही
मरीजों के लिए है भगवान
हॉस्पिटल में करते है नवाचार
मानवता के मूलमंत्र को
कर रहे यह साकार
जानी नाम को बनाकर आधार
जान लुटाते मरीजों पर
करते उन पर ढेरो उपकार
तब सोचने को विवश हो उठा मन
कि ,हमे जो जिंदगी भगवान ने दी है
हमे बहुत ज्यादा मेहनत नही करनी होती
सिर्फ अपने हिस्से का पुरुषार्थ ही तो
करना होता है
उसमें भी हम कर जाते है
लापरवाही
भगवान की दी हुई इस अनमोल जिंदगी का
हम करते है दुरुपयोग
ओर जब मुसीबत आती है
तब करते है भगवान भगवान
,तो क्यों न हम भी सीख ले
आज इनसे
हमारी जिंदगी में भी
समरसता लाये
अगर मन का मिला तो ठीक
नही मिला तो भी ठीक
क्योंकि जब बाहर मुसीबत में होते है
ऐसे लोगो से मिलते है
जो अपने कर्तव्य में दृढ़ है
कोई शिकवा शिकायत नही
तो हमे उनसे यह सीख
अवश्य ही लेनी चाहिये
तभी हम खुश रह सकेंगे
ओर अपने आस पास वालो को भी
खुशियां प्रदान कर सकेंगे ।
प्रेषक
डॉ सीमा शाहजी
थांदला जिला झाबुआ मप्र
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डॉ किशन एम जानी
बड़ौदा गुजरात