ऐसे जिएं कि आप खुद पर गौरव कर सकें – संत ललितप्रभ

ऐसे जिएं कि आप खुद पर गौरव कर सकें – संत ललितप्रभ
राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी ने कहा कि जीवन बांसुरी की तरह है, जिसमें बाधाओं रूपी कितने भी छेद क्यों ना हों ,लेकिन जिसको उसे बजाना आ गया, समझ लीजिए उसी जीना आ गया। उन्होंने कहा कि लोग कैसा जीवन जीते हैं उसे देख कर मत जियो, बल्कि जैसा जीवन जीना श्रेष्ठ होता है वैसा जिओ । अच्छा जीवन तो खुद को भी अच्छा लगता है और दूसरों को भी।श्री ललितप्रभ कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में आयोजित पावर योगा मेडिटेशन कार्यक्रम के अंतर्गत साधकों को संबोधित कर रहे थे उन्होंने कहा कि जीवन को सुकून भरा बनाने के लिए 5 मंत्र अपने साथ जोड़ सकते हैं-पहला है विचार शैली को पॉजिटिव बनाएं ताकि आपके व्यवहार में हमेशा माधुर बना रहे। दूसरा जीवन में जो मिल रहा है उसका स्वागत कीजिए शिकायत मत कीजिए क्योंकि शिकायत आपके मन को हमेशा दुखी करती रहेगी। तीसरा जीवन में संतुष्ट रहने की आदत डालिए दुनिया में किसी को क्या मिल रहा है यह देख कर अपने मन को निराश करने की वजह एक बात हमेशा याद रखिए कि भगवान ने जो दिया है वह भाग्य से ज्यादा दिया है। चैथा सूत्र देते हुए संत श्री ने कहा कि मुस्कुराने के अवसर हमेशा तलाश थी रहिए मुस्कुराता हुआ इंसान जहां रहता है वही स्वर्ग होता है। पांचवा मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि जिंदगी में कभी लोग ना लें और जो प्राप्त है वह पर्याप्त है अगर यह बातें हमारे जीवन में उतर जाती हैं तो हम मानसिक रूप से तो स्वस्थ रहेंगे ही और हमारा जीवन स्वर्ग और सुकून से भर जाएगा। कार्यक्रम से पूर्व डॉ. श्री शांतिप्रिय सागर जी महाराज साहब ने साधकों को पावर योगा के प्रयोग और संबोधि ध्यान विधि का प्रयोग करवाया।
डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, 22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर 9826091247

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