चातुर्मास एक अनुपम उपहार : श्रमणाचार्य विमर्शसागर मुनि चक्रवर्ती भरत के भारतदेश की पवित्र भूमि पर विचरण करते परम वीतरागी दिगम्बर श्रमण-श्रमणियों, उत्कृष्ट श्रावक-श्राविकाओं, अरिहंत कथित धर्म में दृढ़ श्रद्धा रखने वाले जिनोपासक – श्रमणोपासकों एवं सद् गृहस्थों के द्वारा परम अहिंसा धर्म का शंखनाद सदा से होता आ रहा है। सभी ‘‘परस्परोग्रहो जीवानाम्’’ सूत्र […]Read More