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स्वामी विवेकानंद :बस वहीं जीते हैं, जो दूसरों के लिए

स्वामी विवेकानंद: बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं –     डॉ. पवन सिंह मलिक “जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं”…. मात्र 39 वर्ष, 5 मास और 23 दिन की अल्पायु में जिन्होंनें चिरसमाधि प्राप्त की।  जिन्होंनें इस अत्यल्प काल में ही वर्तमान भारत की एक सुदृढ़ आधारशिला प्रतिष्ठित की। भारतीय इतिहास के इस संकटमय संक्रांतिकाल में, जिस महापुरुष ने धर्म, समाज, शिक्षा और राष्ट्र में समष्टि मुक्ति […]Read More

प्राचीन काल से शिक्षा का केंद्र रहा है भोपाल

 देश में योजना पूर्ण तरीके से सांस्कृतिक, साहित्यिक प्राचीनता को छुपाने के प्रयास किए गए हैं. भारत देश का इतिहास विकसित और समृद्ध रहा है लेकिन योजनाबद्ध तरीके से विस्मृत करते हुए, हम सबके सामने जो रखा गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बात विश्व संवाद केंद्र मध्य प्रदेश व भोपाल जागरूक नागरिक मंच […]Read More